भारत की जलवायु – Climate of India PDF UPSC Notes Download : प्रिय Students, आज हम आपके लिए महत्वपूर्ण भूगोल विषय से सम्बंधित “Climate of India (भारत की जलवायु) PDF Download” नोट्स ले कर आए हैं, जिस के Educator – Ankur Yadav ने अपने हाथो से बनाया है। उन्होंने इस विषय पर बहुत ही सरल शब्दों में विषय एक-एक बिंदु को प्रस्तुत किया है, आप इस नोट्स के द्वारा UPSC, IAS, MPPSC & Other State PSC’s की परीक्षा की सफलता हेतु उत्तम पाएंगे।
भारत की जलवायु – Climate of India PDF Download
जलवायुः किसी स्थान अथवा देश में लम्बे समय के तापमान, वर्षा, वायुमण्डलीय दबाव तथा पवनों की दिशा व वेग का अध्ययन व विश्लेषण जलावयु कहलाता है। सम्पूर्ण भारत को जलवायु की द्वाष्टि से उष्ण कटिबंधीय मानसूनी जलवायु वाला देश माना जाता है।
- भारत में उष्णकटिबंधीय मानसूनी जलवायु पायी जाती है। मानसून शब्द की उत्पति अरबी भाषा के ‘ मौसिम’ शब्द से हुई है।
मौसिम शब्द का अर्थ : पवनों की दिशा का मौसम के अनुसार उल्ट जाना होता है। भारत में अरब सगार एवं बंगाल की खाडी से चलने वाली हवाओं की दिशा में ऋतुत् परिवर्तन हो जाता है, इसी संदर्भ में भारतीय जलवायु को मानसूनी जलवायु कहा जाता है।
Climate of India PDF Download
- अत्यधिक भौगोलिक विस्तार और अनेक भू-आकृतियों के कारण संभवतः
- विश्व के अनेक देशों की अपेक्षा भारत में जलवायु संबंधी दशाओं में बड़ी भिन्नता पायी जाती है।
- इसका एक भाग कर्क रेखा के उत्तर में और दूसरा उसके दक्षिण में है।
- उत्तर-पश्चिमी भागों में थार का विशाल मरुस्थल है जहाँ वर्ष भर में 25 सेण्टीमीटर से भी कम वर्षा होती है जबकि उत्तरी और पूर्वी भाग में खासी की पहाड़ियों में चेरापूँजी नामक स्थान पर 1,087 सेण्टीमीटर वर्षा का औसत रहता है।
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- कश्मीर में द्रास नामक स्थान पर न्यूनतम तापमान-90 c तक और लेह में 0 c to 45 C पहुँच जाता है जबकि राजस्थान में उच्चतम तापमान 55 c से अधिक अंकित किया जा चुका है।
- हिमालय के अधिकांश पहाड़ी केन्द्रों में अगस्त में आद्र्रता 100% पायी जाती है और आकाश मेघाच्छन्न रहता है, किन्तु दिसम्बर में इन्हीं स्थानों में आद्र्रता 0% हो जाती है।
- कोचीन का मध्यम औसत तापमान 27 c से ऊपर नहीं बढ़ता और न ही न्यूनतम तापमान 23 C से नीचे उतरता है, जो मुम्बई के तापान्तर के दुगुने से भी अधिक है तथा पंजाब के आन्तरिक भागों से 6 से 8 गुना है।
भारत की जलवायु पर दो बाहरी कारकों का प्रभाव पड़ता है –
- उत्तर की ओर की हिमाच्छादित श्रेणियाँ भारत को मध्य एशिया की ओर से आनेवाली ठंडी हवा से बचाकर इसको महाद्वीपीय जलवायु (Continental Climate) का रूप देती है जिसकी प्रमुख विशेषताएँ स्थानीय हवाओं का आधिक्य, हवा का सूखापन, अधिक दैनिक ताप-परिसर और वर्षा की न्यूनता है।
- दक्षिण की ओर हिन्द महासागर की निकटता भारत को उष्ण मानसूनी जलवायु (Tropicial Monsoon) देती है जिसमें उष्ण कटिबंधीय जलवायु की आदर्श दशाएँ प्राप्त होती है।
मानसून को प्रभावित करने वाली बाह्य दशाएँ (Climate of India PDF)
- मई के महीने में यदि हिन्द महासागर में अधिक उच्च वायुदाब हुआ तो उत्तरी भारत में प्रायः प्रतिचक्रवातीय पवन उत्पन्न हो जाती है। फलस्वरूप भूमध्यरेखीय वायुदाब के कारण मानसूनी हवायें अधिक संगठित नहीं हो पाती और वे क्षीण हो जाती है।
- यदि मार्च तथा अप्रैल महीनों में चिली तथा अर्जेण्टाइना में वायुदाब अधिक होता है तो भारतीय मानसून अधिक शक्तिशाली होता है क्योंकि इस वायुदाब से दक्षिणी-पूर्वी स्थायी पवनें अधिक प्रबल हो जाती है तथा भूमध्य रेखा को पार करके दक्षिणी-पश्चिमी मानसून की वृद्धि करती है।
- यदि अप्रैल-मई के महीनों में भूमध्यरेखीय क्षेत्रों में जंजीबार के निकट अधिक वर्षा होती है, तो भारतीय मानसून कमजोर पड़ जाता है।
- इन क्षेत्रों में अधिक वर्षा का अर्थ है शान्त-खण्ड की पेटी में अधिक तेज संवाहिनी धाराओं का उत्पन्न होना तथा इन धाराओं का दक्षिणी-पश्चिमी स्थायी हवाओं के उत्तर की ओर जाने में बाधक होना।
- जिस वर्ष उत्तरी पर्वतीय प्रदेश में मई के महीने तक हिमपात होता है उस वर्ष वहाँ उच्च वायुदाब की दशाएँ उत्पन्न होने से प्रतिचक्रवातीय हवायें चलने लगती है और मानसून क्षीण पड़ जाता है।
- इसके विपरीत, जिस वर्ष दक्षिणी गोलार्द्ध में अधिक हिमपात होता है उस वर्ष मानसून अधिक शक्तिशाली होता है।
- यदि उपर्युक्त दशाएँ विपरीत हुईं तो उनका प्रभाव भी बिल्कुल विपरीत होता है।
ऋतुएँ (Climate of India PDF)
- भारत सरकार के अन्तरिक्ष विभाग (मौसम कार्यालय) ने वर्ष को चार ऋतुओं में बाँटा है –
- उत्तरी-पूर्वी मानसूनी हवाओं का मौसम (N.E. Monsoon Season)
- शीत ऋतु (15 दिसम्बर से 15 मार्च तक)
- शुष्क ग्रीष्म ऋतु (लगभग 15 जून से 15 दिसम्बर तक)
- दक्षिणी-पश्चिमी मानसून हवाओं का मानसून (S.E. Monsoon Season)
- वर्षा ऋतु (लगभग 15 जून से 15 सितम्बर तक)
- शरद ऋतु या मानसून प्रत्यावर्तन काल की ऋतु (मध्य सितम्बर से दिसम्बर तक)
शुष्क शीत ऋतु (Dry Winter Season)
- दिसम्बर के मध्य से मध्य एशिया में उच्च वायुदाब होने के कारण पछुआ (Westerlies) की शाखाएँ दक्षिण की ओर मुड़ जाती है।
- इसी कारण कभी-कभी इस समय आकाश में मेघ भी जमा हो जाते है जिनका बरसना रबी फसलों के लिए काफी लाभदायक होता है। सारे देश में इस ऋतु में तापमान न्यून रहता है।
- सबसे कम तापमान उत्तरी-पश्चिमी भारत में होता है और जैसे ही हम पूर्वी या दक्षिणी भारत की ओर बढ़ते है तापमान बढ़ता जाता है।
- राजस्थान का रात्रि तापमान कई बार 0 C से भी नीचे उतर आता है।
- इस समय भारत का औसत उच्चतम तापमान कुछ स्थानों पर 29 C तक रहता है जबकि उत्तर-पश्चिम में यह केवल 18 C तक ही रहता है।
- फरवरी के आसपास कैस्पियन सागर एवं तुर्किस्तान प्रदेश की ठंडी हवायें भारतीय प्रदेश में प्रवेश कर जाती है।
- इनके कारण तापमान नीचे गिर जाता है तथा गहरा कोहरा छा जाता है फिर भारतीय वैसे प्रदेश जो समुद्र से नजदीक है वहाँ कोई कोहरा नहीं होता है।
- इस समय तमिलनाडु में शान्त खण्ड ;क्वसकतनउेद्ध के कारण तूफान आने की सम्भावना रहती है।
उष्ण शुष्क ग्रीष्म ऋतु (Hot Dry Summer Season)
- फरवरी माह में सूर्य की स्थिति भूमध्य रेखा के निकट होती है। मार्च के अन्त में वह कर्क रेखा की ओर बढ़ना आरम्भ कर देता है। इस कारण सारे भारत में तापमान बढ़ने लगता है।
- मार्च में सर्वाधिक तापमान दक्षिण भारत 43 C रहता है
- अप्रैल में मध्य प्रदेश व गुजरात में तापमान 43 C तक पहुँच जाता है। कई स्थानों का तापमान 47 C तक पहुँच जाता है।
- इस समय काफी गर्म और शुष्क हवायें चलती है जिसे स्थानीय भाषा में लू ;स्ववद्ध कहते है।
- जब इन शुष्क गर्म हवाओं से आद्र्र हवाएँ मिलती है, तो भीषण तूफान तथा आँधियाँ आती है जिनका वेग कभी-कभी 100 से 125 कि. मी. प्रति घंटा तक होता है।
- इनसे वर्षा भी होती है। बंगाल में इन्हें काल बैसाखी (Nor-westers) कहते है।
- नाखेस्टर हवाओं की उत्पत्ति छोटानागपुर पठार पर होती है।
- पछुआ हवाएँ इन्हें पूर्व की ओर ले जाती है।
- इस वर्षा को वसन्त ऋतु की तूफानी वर्षा (Spring storm showers) कहते है।
- असम में मई में काफी वर्षा होती है। इसे यहाँ चाय वर्षा (Tea Shower) कहते है।
- दक्षिण भारत में जो वर्षा होती है इसे आम वर्षा (Mango Showers) कहते है।
- जहाँ इससे कहवा की फसल को लाभ पहुँचता है, वहाँ इसे फूलों वाली बौछार (Cherry Blossom Showers) कहते है।
वर्षा ऋतु (Rainy Season)
- सूर्य की स्थिति कर्क रेखा पर लम्बवत् होते ही अपेक्षाकृत और कम वायुदाब बन जाता है और दक्षिण-पूर्वी व्यापारिक हवायें इस वायुदाब के केन्द्र तक पहुँचने की कोशिश करती है।
- दक्षिणी भारत की प्रायद्वीपीय स्थिति होने के कारण दक्षिणी-पश्चिमी मानसून की दो प्रधान शाखायें हो जाती है।
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- अरब सागर और दूसरी बंगाल की खाड़ी की ओर से मानसून प्रवेश करती है तथा दोनों शाखायें अपने तरीकों से देश में वर्षा के वितरण को प्रभावित करती है।
- बंगाल की खाड़ी को पार करने के बाद मानसून हवायें सबसे पहले मेघालय पठार पर स्थिर खासी पहाड़ियों से टकराती है। इन पहाड़ियों के समुद्राभिमुख ढाल पर संसार की सबसे अधिक वर्षा होती है। वहीं राजस्थान में 25 सें. मी. से भी कम वर्षा होती है।
शरद ऋतु (The Cool Season)
- यह ऋतु मध्य सितम्बर से अपना प्रभाव दिखाना शुरू कर देती है। इस समय दक्षिण-पश्चिम मानसून उत्तर भारत से लौटना शुरू कर देता है। उत्तरी-पूर्वी हवायें अपना स्थान लेने लगती है।
- दक्षिणी प्रस्फोट के विपरीत यह प्रत्यावर्तन काफी क्रमिक होता है।
- मानसून के लौटने के साथ-साथ उत्तर पश्चिम में विस्तृत निम्न वायुदाब का क्षेत्र समाप्त होने लगता है और यह बंगाल की खाड़ी की ओर बढ़ने लगता है।
- इसके बढ़ने की गति का मानसून हवायें अनुकरण करती है।
- लौटता मानसून जब उत्तरी-पूर्वी दिशा प्राप्त कर लेता है, तब बंगाल की खाड़ी से आद्र्रता प्राप्त करके बंगाल, उड़ीसा व आन्ध्र प्रदेश के तटीय प्रदेशों तथा तमिलनाडु व केरल में वर्षा करता है।
- तमिलनाडु में नवम्बर दिसम्बर में 65 से. मी. 80 से.मी. तक वर्षा होती है।
- नवम्बर-दिसम्बर में उत्तर भारत के मैदानी भागों में भूमध्य सागर से आनेवाले चक्रवातों द्वारा हल्की वर्षा हो जाती है, जो रबी की फसलों के लिए अत्यन्त लाभकारी होती है।
Ankur yadav के कुछ महत्वपूर्ण Topics जो हमने लेख के माध्यम से निचे बताया है | तो आप सभी students दिए हुवे Topics को ध्यान से पढ़े |
- भारत में उष्णकटिबंधीय मानसून
- भारत में ऋतु में होने वाली वर्षा
- उत्तर पूर्व मानसून या हवाए द्वारा
- भारत में ग्रीष्म ऋतु में होने वाली वर्षा
- अरब सागर शाखा
- बंगाल की खाडी शाखा
- फेरल का नियम
- कोपेन का जलवायु
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